साभार गुगल इमेज़
फसल-ए -बहार में ये भी एक मुक़ाम आया है
रास्ता में देख कर वो हम से भी शरमाया है
उसका वज़ूद शायद मेरी तलाश में आया है
ख्वाबों में फिर तुझे कहीं कोई फिर भरमाया हैं
रहा यू वो दूर हमसे क्यों किसे समझ आया है
उसकी ख़ता क्या कोई समझ भी नहीं पाया है
किसका ख्याल यहा किसे ढूंढ कर उसे ले आया है
वक़्त ने इस तरह उसे क्यों किस बात पे रुलाया है
आराधना
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