उठे है खाक से हम तो फलक तेरे निशाने पे
उन्हें भी फिक्र क्या अब इस नए फ़साने पे
जुल्म -ए निशा रहा है तू भी मेरे ठिकाने पे
देखे वादिये जां रूकती है अब किस ठिकाने पे
सितम और जुल्म कि रह पे चलने वालो को
बड़ी नागवारिया गुजरी किसी मरने वालो पे
तेरे भी दिल में कोई खुदा कही तो रहा होगा
तेरा भी एक कही आशना यू भी तो रहा होगा
आराधना
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