कवित -परंग
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
बोल कोई मीठे कोई बोलता है
वही मन में कहीं समां जाता है
भाव विह्ल हो मूक हो जाते है ,
शब्द नए गढ़ जीवन पाते है
कोई रूप रंग में ढल जाते है
फिर भावों में सृजन पलता है
सुख सपनों का यही संसार है
बनता सहज़ जीवन आधार है
----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
ज़िन्दगी आसान नहीं
फिर भी चलना होगा
रहेंगी बात सदा याद
मुझे अब बदलना होगा
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
जाने क्याये कह जाती है
मुझसे यू हवा रह रह कर
कौन सी बात उठी सरे बाज़ार
कुछ कह ना सकी रह रह कर
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
गीतों के मौसम में
साज़ बन के देखिये
नई इन उम्मीदों की
परवाज़ फिर ये देखिये
---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
Comments