कोई वादा नहीं फिर भी क्यू तेरा इंतज़ार करती हूँ
अपनी तन्हाइयों में अक्सर दिल कि बात करती हूँ।
बेवज़ह तो नहीं ये सब बातें,या यू ही बेक़रार रहती हूँ
जाते हुये से इस पल में ,नींद से ख़्वाब क्यू मैं चुनती हूँ।
कोई सुन ले ना ज़बां से बस उफ ,होठो को सिये रहती हूँ
चुप हूँ ख़ामोश हूँ मैं ,अपनी आँखों से ही मैं बात करती हूँ।
आराधना
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