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तस्वीर मिटा देना

                                     
                              ग़ज़ल
               


पास  जो रखी है वो तस्वीर तुम छिपा  देना
अपने ख्वाबों की तावीर खुद ही मिटा लेना

ग़र्क़ चुपचाप ज़र्रे -ज़र्रे  आँसु  को  कर  देना
अपने  निशां खुद से ही यू तुम मिटा  लेना

सब के इल्ज़ाम  सर खुद कुछ यू उठा लेना
आग दामन में तुम अपने ही खुद लगा लेना

कोई दर ख्वाब का देखा ही नहीं कभी तुमने
हर रोज़ अपने को यू ही तुम बस बहला लेना

कोई उम्मीद खुद से ही ना तुम  बढ़ा लेना
बेवफ़ा को फिर कहीं बा-वफ़ा ना बना देना

वादे तो वादे हैं बस क्या उन पे भरोसा करना
चाक खुद अपना ज़िगर ना तुम कहीं कर लेना

उन के पहलू में क्यू ज़ार-ज़ार हम रोए "अरू  "
हम ने सीखा ही नहीं  उन  से  किनारा कर लेना


copyright : Rai Aradhana ©

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गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना