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थकन تھكن


थकन

 


कई बातें दफ़न हैं ,वक़्त की दीवारों में 

हाथ से छू कर ,देखोगे तो क्या पाओगे




झूठ जब बोलता है, बस खामोशियों में
सच को आवाज़ दे कर, क्या पा जाओगे 




चीखती ,पुकारती ,गलियों के सच में

बेनाम चिठ्ठी की तरह गुम हो जाओगे 

इस भागते ,दौड़ते ,आवारा से शहर में 
मेरे पास थककर  फिर लौट आओगे। 

दोस्ती का हक़ अदा कर जाएगी "अरू "
ज़िंदगानी ,जब मौत बन कर  आयेगी 
copyright : Rai Aradhana ©
………..................................आराधना ..............   



تھكن


کئی باتیں دفن ہیں، وقت کی دیواروں میں
ہاتھ سے چھو کر، دیکھو گے تو کیا پاؤگے

جھوٹ جب بولتا ہے، صرف كھاموشيو میں
سچ کو آواز دے کر، کیا پا جاؤ گے

چیختی، پكارتي، گلیوں کے سچ میں
گمنام چٹھٹھي کی طرح گم ہو جاؤ گے

اس بھاگتے، دوڑتے، آوارہ سے شہر میں
میرے پاس تھک پھر لوٹ آؤ گے.

دوستی کا حق ادا کر جائے گی "انا"
ذدگاني، جب موت بن کر آئے گی

............ .................................. آ رادھنا .......... ....

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आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

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