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दिल


दर्द जब ज़ुबां देता है , खूबसूरत अहसास को जन्म देता है
पानी में उठते बुलबुलों कि तरह रोज़ मरते है रोज़ जीते है
क्यू फ़से है इस कफ़स में यहाँ ऐसी उलझन में यू रहते है
शिकवा हम यहाँ किस से करे मेरी दुनियाँ ही रूठ के बैठी है
एक तेरे नाम पे जीते है ,हॅंस के दुख भी अब झेल ही लेते है
इश्क है तुम से खुद को बहला कर हम भी तो जीते ही रहते है
आराधना राय
copyright : Rai Aradhana ©




मेरे नाम दिन के उजाले हुए है
अंधेरों को हम क्यों पाले हुए है
किन मज़बूरियों में ढाले हुए है
हालत तंग दिल में छाले हुए है
ख्वाब क्यों हमने फिर पाले हुए है
हसरतों कि ख्वाहिशें जाने हुए है


copyright : Rai Aradhana ©

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आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत---- नज़्म

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