जन्म
शालिनी नाम का डर , उस की ज़िन्दगी से निकल चूका था वो अपने आप को ये कब का समझा चूका था ,बस एक चुभन थी , जो किसी चीज़ को न पा कर होती है। दूर से बैसे भी हर लड़की शालिनी जैसी ही लगती ,पर उस हादसे में वो बची भी होगी तो कैसी ? गगन की हंसी उसे अब भी सुनाई पड़ रही थी ,.
रोज़ी , लता ,चारु ,कविता औरो के तो नाम भी याद नहीं कितनी आई और जाएगी , आज नलिनी से मिलने का टाइम फिक्स है फिर और बातो के लिए उस के पास टाईम नहीं, 35 कोई उम है शादी कर ने की ।
अभी भी उसे लोग 25 का समझते है , फिर शादी करके एक के साथ बंधे रहो , अनिरुद्ध नहीं हुँ भाईसाब जैसा ,
ऑफिस में लड़किया खुसपुसती है सर की शादी हो गई .. अपनी एक कलम के वार से किसी की भी रिपोर्ट अच्छी.....................
या ख़राब कर सकता था।
अनिरुद्ध ने एक दिन कहा था। .. 'तेरी भी शादी हो गई होती तो , ये पार्ट टाइम लवर्स जो तेरी है न , उन्हों ने तेरी नैया डूबो दी होती "
"उनको अच्छी रिपोट चाहिए ,बेटा और मुझे" ..... शिशिर आँख दबा कर मुस्कुराया था । कितनी बार अपने को शाबाशी दी होगी उसने। अपने को शायद "ह्यग् हेफ़नर " समझने लगा था वो। इन्ही ख्यालो में वो झटपट तैयार हो नलिनी से जो मिलाना था।
घर से निकलने वाला ही था की पी. के. का कॉल आ गया ,
"शिशिर ऑफिस आओ जल्दी '
"क्यों "शिशिर ने हैरानी से पुछा।
'आओ खुद ही पता चल जायेगा '.
भुनभुनाता हुआ शिशिर ऑफिस चल पड़ा।
पी. के. ऑफिस गेट पैर ही मिल गया ,
" न्यू डिरेक्टर तुम से ही मिलना चाह रही है "
शिशिर कुछ सोचता इससे पहले वो उसे साँची विश्वाश के सामने ले गया।
फिरोज़ी शिफॉन साडी , कंधे तक कटे बाल जो लम्बी सुराहीदार ग्रीवा पर फब रहे थे ,और चेहरे पर एक़ जोड़ी
खूबसूरत बड़ी आँखे, जो उसे जानी पहचनी लगी थी ,
उस के मुँह से निकल पड़ा ,"ब्यूटीफुल"
पी. के. ने उसे कोहनी मारी , शिशिर स्टॉप ,सुन लेगी बॉस है।
तभी बगल मे खड़ी अधेड़ 50 -55 साल की महिला को देख कर उसका दिल बैठ सा गया
न होगा कुमार , पी के का ही नाम था प्रणव कुमार , पर शिशिर के साथ
साथ सब उसे पी के ही कहते थे , जब करीब एक साल पहले उसे
प्रमोशन मिली और शिशिर के सह कर्मी से शिशिर का बॉस बना दिया
गया तब ये उपनाम छेड़ के तौर पर
शिशिर ने ही दिया था।
तभी साँची का ध्यान उन दोनों पर गया ,हाथ बढ़ा कर उन्हें बैठने का संकेत दिया ,
शिशिर सोच रहा था की पहली ही मुलाकात में अपने काबिलियत के झंडे गढ़ देगा, पर साँची ने उस की तरफ
ध्यान नहीं दिया ,
शिशिर को एक बार फिर अपने पर गुस्सा आया, उसकी लाश भी नहीं मिली ,बहुत तलाशा उसने भी, भिखरियो में , हॉस्पिटल , मुर्दाघर हर जगह, उसे दया आई थी उस पर , होती तो मिलती ना ।
शिशिर की नलिनी से भी बात नहीं हो पा रही थी ,नलिनी उसकी ज़िन्दगी का सबसे सही दाव था , सिर्फ कुछ उल्टी सीधी पेंटिंग्स , दो चार बुक्स ,में अच्छा इम्प्रेशन ज़माने में कामयाब हो गया था फिर वो थी भी लाला सदा नन्द जौहरियों की एक मात्र एक पुत्री,उस की तरह उच्च वर्गीय , अगर शालिनी वाला हादसा ना होता तो ,वो आज अपने शहर में होता , वरना क्या ज़रुरत थी उसे ये मिडिल मैनेजेरियल जॉब की।
धीरे -धीरे ऑफिस में भी खुसुर फुसुर शुरू हो गई, उसके प्रतिदुन्दि अब डर कर नहीं वरन उत्सुक्ता से उसकी ओर देखते थे ,शालिनी का भूत मानो उसकी ज़िंदगी में हावी हो गया था ,क्या से क्या हो गया वो , कुछ हफ्तों पहले वो बेफिक्र , दिलफेंक ,और बेहद चतुर समझे जाने वाला इंसान था , पर आज वो परले दरजे का बेवकूफ नज़र आता था ,वीमेन सेल के बन जाने से और साँची के उस के डिपार्टमेंट में लगातार विजिट से , लेडीज स्टाफ अब मुखर हो चला था ,
अब ज़रूरी हो गया था की साँची को भी अपने जाल में फंसाया जाये या कोई और पुख्ता इंतज़ाम किया जाये क्योकि ये तो तय था की वो वापस अपने शहर नहीं जायेगा यू बेइज़्ज़त हो कर नहीं।
अगले दिन शिशिर पुराने अंदाज़ में दिखा ,एक बड़ा ग्ले डियोला का बॉस्केट बुके बनवा ,उसने साँची के कमरे में भिज़वाया , बुके पर लिखा था
To the man who only has a hammer, everything he encounters begins to look like a nail.मेरा संघर्ष ही मेरी सच्चाई है मैम। पता नहीं ये सफाई थी या धमकी।
उस दिन वो बिजी रहा उसे पता था , पिछले दिनों उसने जो भी काम किया है मन से किया है ,नतीजा अच्छा ही होगा ,उम्मीद के अनुसार ही हुआ। बोर्ड ऑफ़ डिरेटर्स की मीटिंग मे उस का नाम प्रमोट किया गया है ,
ये खबर उस तक पहुँच ही गई ,इस दौरान वो साँची के साथ देखा गया ,शायद बुके , और सिंसेसियरिटी के साथ कई साल बाद उसने काम किया था इतनी मेहनत तो उसने शालिनी को पाने मे भी नहीं की थी।
नलिनी अब उसके सपने मे भी नहीं आती थी।
कितनी मुश्किल से सब कुछ ठीक हो चला था, उसने ठान लिया वो अपने और साँची के प्यार को बिखरने नहीं देगा ।
शिशिर के पास कोई चारा नहीं था
"वेलडन मिसेज़ विश्वास " आखिर तुमने सबूत जुटा ही लिए ,आई जी मुस्कुराए।
"मुझे कुछ बातो का ज़बाब चाहिए"
"बोलो "साँची और आई जी दत्त ने बैठते हुऐ , एक साथ कहा ।
इस बार शालिनी नहीं , शिशिर के रोने की गूंज सुनाई दे रही थी , अब शालिनी खुश थी इस बार बहुत खुश थी।
सो सीढिया उतरते हुये उसका रोना कोई न देख सका । वो घाव न देख सका जो शरीर पर नहीं उसकी आत्मा पर थे वो खुश किस्मत थी की नदी मे गिरी , कई बार कहने सुनने को बहुत होता है पर फिर भी यही कहेंगे , घाव से मुक्ति का मार्ग उसी को पता होता है , जिसे घाव आये होते है ।
साँची चली गई ,पर सवाल तो फ़िर भी उस के मन मे थे , शादी से महीने पहले दो लड़को ने अपने अहं की तृष्टि के लिए , एक लड़की को हताहत किया , फिर समाज में उसी को बदनामी क्यों हाथ लगी , बेनाम हो कर संधर्ष कर ,बड़ी तकलीफ से यह जंग जीत पाई थी। आँसू पोछते हुए वो , सोच रही थी , फिनिक्स अपनी ही राख से जन्म लेता है , उसने भी अपनी अतीत के दुखों से खुद को जन्म दिया है ।
तभी बगल मे खड़ी अधेड़ 50 -55 साल की महिला को देख कर उसका दिल बैठ सा गया
ये कौन है पी. के.'
"न्यू टैनिंग हेड ", पी के ने कहते हुए ,अपना सर उस औरत को देख अभिवादन स्वरुप हिलाया।प्रतिउत्तर वह हेलो कुमार। कहते हुए कमरे से बाहर निकल गई ,कहना
न होगा कुमार , पी के का ही नाम था प्रणव कुमार , पर शिशिर के साथ
साथ सब उसे पी के ही कहते थे , जब करीब एक साल पहले उसे
प्रमोशन मिली और शिशिर के सह कर्मी से शिशिर का बॉस बना दिया
गया तब ये उपनाम छेड़ के तौर पर
शिशिर ने ही दिया था।
तभी साँची का ध्यान उन दोनों पर गया ,हाथ बढ़ा कर उन्हें बैठने का संकेत दिया ,
शिशिर सोच रहा था की पहली ही मुलाकात में अपने काबिलियत के झंडे गढ़ देगा, पर साँची ने उस की तरफ
ध्यान नहीं दिया ,
"पी के , इस कंपनी में भी और शाखाओ की तरह एक वीमेन सेल का गठन कर रही हुँ" , साँची ने बिना औपचारिकता के साथ सीधे पी. के. से बात करनी शुरू कर दी ,
वो बोलीं जा रही थी जिस के मेंबर्स चुने जा चुके है , आप को इस में शामिल होना है ,न्यू ट्रैनिंग हेड से बात कर ले "
"मैडम ये शिशिर वर्मा फाइनेंस डिपार्टमेंट इन्ही के पास है अभी छुट्टी,,,,, पी. के. ने बीच में कहा ,पर उसकी बात मुँह में रह गई।
रौबदार नज़रों से साँची ने दोनों पर सरसरी निगाह डाली फिर अपनी बात पूरी करते हुए बोली
हउ.म,,,मिस्टर वर्मा आप मुझे अपने डिटेल्स भेज दे" , और आप के डिपार्टमेन्ट में फीमेल स्टाफ है ,उनकी लिस्ट चाहिए ",शिशिर को लगा जैसे कोई गैर मामूली काम उसे करने को कह दिया हो ।
र कोई केस हुआ था ,कोई लड़की के सिलसिले में " ,केबिन से बाहर आ कर वो पी. के पर भडक उठा "तो इस काम के लिए बुलाया था , पूरा स्टाफ बदल रही है , वो पुरानी हेड बदले ये मिसेज़ नीरू कपूर , चेचक के दाग वाली , उफ़ पहले उस ज्योति वालिया को देख कर दिल तो खुश होता था।
नहीं यार मिसेज़ कपूर हाइली क़्वालीफाइड है , अभी मुझे उन से मिलना है तू चल , पी के मन ही मन मुस्कुराया , न जाने क्यों पी. के को , अच्छा लगा वर्ना तो उसे लगा था की इस बार शिशिर फिर वीमेन फ्रैंडली ट्रिक्स चल कर इस साल के अप्रैज़ल में उस से बाज़ी मार ले जायेगा ,
किसी भी सीनियर पोस्ट के अफसर की बहन को एग्जाम दिलाना हो ,भाभीजी को ट्रेन में बैठना हो, या कोई अन्य काम , इसी तरह छलांगे मार कर यहाँ तक पहुँचा है ,फिर इसे खुद अप्रैज़ल टाइम पर अपनी फीमेल स्टाफ में किन पर मेहेरबान होता है और क्यों खूब जानता था, इस बार पी के ने वाकई राहत की सॉस ली थी
उधऱ शिशिर की हर प्लानिंग जैसे फ़ैल हो गई थी साँची सामने पिछले एक महीने में रोज़ साँची एक ही प्रोजेक्ट पर नये- नए तरीके से वर्कआउट करा कर लगभग उसे रुला चुकी थी ,साँची ही शालिनी है ये बात उस के दिमाग से अब निकल चुकी थी।
अपने केबिन मैं पिछले सालो का लेखा जोखा बुन रहा था , इस से पहले जो उस के डिवीज़न के डिरेक्टर , उस की मुठी ही थे बस लास्ट ईयर का वो फौजी घोष , वो ही काबू नहीं हुआ वर्ना क्या मज़ाल थी की पी के का प्रमोशन हो जाता , और ये मेडम शालिनी की बस झलक मात्र है
,देखना कैसे मुठी मे करता हू अभी वो ख्यालो में बहका जा रहा था की चपरासी ने बताया साँची मैडम बुला रही है सर।
मन ही मन कुलचे भरता साँची के केबिन में पंहुच गया , साँची कुछ चिन्तित मुद्रा में दिखाई दी ,एक्सिक्यूटिव सूट में कुछ रोब दार लग भी रही थी।
"मिस्टर वर्मा , क्या प्रतापगढ़ में आप प
शिशिर को कागज़ का एक पुलिंदा दिखाते हुये साँची बोली।
'जी 'शिशिर ने होठो को काटते हुये कहा।
'ओ माय गॉड ' यह एक क्रिमिनल ओफ्फेंस है , पहले पड़ताल क्यों नहीं हुई मिस्टर काले साँची ने दूसरे पमुख की ओर देखते हुए कहा।
"अगर मैंने सब डी जी एम की प्रोफाइल की पुलिस जाँच न कराई होती , तो ना जाने कितनी बाते अंजानी रह जाती ।
"मैडम , यह केस सालो पहले बंद हो चूका है , बेचारे को फसाया गया था , मैं इस के फादर को जानता हुँ बोगस केस था। काले ने अपना पक्ष रखा तो शिशिर की जान में जान आई ।
" सॉरी फॉर बोथेरेशन( sorry for botheration )आप जा सकते है मिस्टर वर्मा ," साँची की दूर से आवाज़ आई।
'ओके मान लेती हुँ , पुलिस ने इतना ही कहा है गवाह और सबूत मिले ही नहीं सो., आगे से केयरफुल रहे"साँची गाइड लाइन देने लगी।
शिशिर को एक बार फिर अपने पर गुस्सा आया, उसकी लाश भी नहीं मिली ,बहुत तलाशा उसने भी, भिखरियो में , हॉस्पिटल , मुर्दाघर हर जगह, उसे दया आई थी उस पर , होती तो मिलती ना ।
"चला था हीरो बनने बन गया जीरो" । जिस दिन पता चला शालिनी की शादी तय हो रही है उसी दिन मन बना लिया था गगन और उसने छत से कमरे में जा कर उठा लगे ।
'साली नैन मटका हमारे साथ और शादी किसी और से "
भद्दी सी गाली देकर मानो दिल की भड़ास निकल रहा हो।"तेरे गिफ्ट लौटाए थे न उनका दर्प आहात हो रहा था "चल इस की औकात दीखते है " फिर वो और गगन अपने चूर हो चुके ,घमंड का बदला कार्यान्विंत करने में लग गए।अगर रात को उस दूध वाले ने ना देखा होता तो शालिनी के घर वाले उन के खिलाफ पुलिस रिपोर्ट भी ना करा पाते।शिशिर न भूल सकने वाली यादों से परेशान हो उठा था।
शिशिर की नलिनी से भी बात नहीं हो पा रही थी ,नलिनी उसकी ज़िन्दगी का सबसे सही दाव था , सिर्फ कुछ उल्टी सीधी पेंटिंग्स , दो चार बुक्स ,में अच्छा इम्प्रेशन ज़माने में कामयाब हो गया था फिर वो थी भी लाला सदा नन्द जौहरियों की एक मात्र एक पुत्री,उस की तरह उच्च वर्गीय , अगर शालिनी वाला हादसा ना होता तो ,वो आज अपने शहर में होता , वरना क्या ज़रुरत थी उसे ये मिडिल मैनेजेरियल जॉब की।
धीरे -धीरे ऑफिस में भी खुसुर फुसुर शुरू हो गई, उसके प्रतिदुन्दि अब डर कर नहीं वरन उत्सुक्ता से उसकी ओर देखते थे ,शालिनी का भूत मानो उसकी ज़िंदगी में हावी हो गया था ,क्या से क्या हो गया वो , कुछ हफ्तों पहले वो बेफिक्र , दिलफेंक ,और बेहद चतुर समझे जाने वाला इंसान था , पर आज वो परले दरजे का बेवकूफ नज़र आता था ,वीमेन सेल के बन जाने से और साँची के उस के डिपार्टमेंट में लगातार विजिट से , लेडीज स्टाफ अब मुखर हो चला था ,
"सॉरी छै : के बाद हम अब ऑफिस में नहीं रुकेगी,अब चाहे कोई रिपोर्ट बिगाड़ने की की धमकी दे" ,उस के मातहत एक महिला कर्मी ने दूसरी को इतनी ज़ोर से कहा की पास से निकलते हुये वो भी सुन सके , जबकि दूसरी महिला उसके पास ही बैठी थी ,तो ये सब उसे सुनाने के लिए ही कहा जा रहा है।
अब ज़रूरी हो गया था की साँची को भी अपने जाल में फंसाया जाये या कोई और पुख्ता इंतज़ाम किया जाये क्योकि ये तो तय था की वो वापस अपने शहर नहीं जायेगा यू बेइज़्ज़त हो कर नहीं।
अगले दिन शिशिर पुराने अंदाज़ में दिखा ,एक बड़ा ग्ले डियोला का बॉस्केट बुके बनवा ,उसने साँची के कमरे में भिज़वाया , बुके पर लिखा था
To the man who only has a hammer, everything he encounters begins to look like a nail.मेरा संघर्ष ही मेरी सच्चाई है मैम। पता नहीं ये सफाई थी या धमकी।
उस दिन वो बिजी रहा उसे पता था , पिछले दिनों उसने जो भी काम किया है मन से किया है ,नतीजा अच्छा ही होगा ,उम्मीद के अनुसार ही हुआ। बोर्ड ऑफ़ डिरेटर्स की मीटिंग मे उस का नाम प्रमोट किया गया है ,
ये खबर उस तक पहुँच ही गई ,इस दौरान वो साँची के साथ देखा गया ,शायद बुके , और सिंसेसियरिटी के साथ कई साल बाद उसने काम किया था इतनी मेहनत तो उसने शालिनी को पाने मे भी नहीं की थी।
नलिनी अब उसके सपने मे भी नहीं आती थी।
महीनो बाद शिशिर, आज पहले वाली ताज़गी महसूस कर रहा था। बरसो बाद सुबह सुहानी थी मौसम भी रंगीन था ,ऐसी सुबह साँची भी आ रही थी , अब वो उसकी बॉस होने जैसा कोई व्यवहार नहीं करती थी , दोनों घंटो बाते करते थे हालांकि वो बाते शिशिर को थका देने वाली होती थी , फिर भी ज्ञान बघारने के लिए अक्सर उसे ऑस्कर वाइल्ड , कीथ , शैली से लेकर फेडरिक फोरसिंथ तक की बुक्स की कहानियों के प्लॉट और कविताओ को ऐसे बताता था मनो अपना पूरा खाली समय वो पढने में बिताता हो । उसे मन ही मन विश्वाश था ,की कुछ को गिफ्ट से , तो कुछ को तारीफ से , पर साँची जैसो को ,बौद्धिकता के बल पर अपना बनाया जा सकता है।
आज साँची का जन्म दिन था ,उसे आज साँची का बेसब्री से इंतज़ार था, कुछ खास अरेन्ज़मेंट करके रखे थे उसने साँची के लिए। डोर बेल , हुई तो उसकी तन्द्रा टूटी साँची आई थी सफ़ेद कमीज़ फिरोज़ी चूड़ीदार और फिरोज़ी दुपटे मे ,उस का गौर वर्ण और भी चमक रहा था , आँखों में काजल नहीं डाला था पर आँखों में जो खिचाव था वो काफी था किसी को भी मद -मस्त करने के लिए |
लिविंग रूम में काउच पर बैठते हुये उसने शिशिर से कहा " एक कॉफी हो जाये , तो गुड फील आ जायेगा "।
नौकर न होने के वज़ह से शिशिर ने खुद ही कॉफी मेकर से दो कप कॉफी तैयार की ।
"कूकीज खास तुम्हारे लिए "बरिस्ता" से मँगवाये है " शिशिर ने कॉफी की ट्रे बढ़ाते हुए कहा "।
साँची दूसरी दुनिया में ही थी ,उसका मुँह सुख रहा था और आँखे नम थी ।
फिर अचानक वो बोल पड़ी "शिशिर ये गगन कौन है" ?
"गगन" , क्यों लड़खड़ाती जुबान शिशिर ने पूछा ।
साँची की आँखों से आँसू उमड़ पड़े, "कमिश्नर दत्त से बात हुई है अचानक उन्हें तुम्हारे पुराने केस की एक लीड मिली है " इसके साथ ही वो फ़फ़क कर रो पड़ी।ये सब अप्रत्याशित था शिशिर के लिए वो खुद नहीं जानता था की साँची सच में उसे इतना चाहती है।
कितनी मुश्किल से सब कुछ ठीक हो चला था, उसने ठान लिया वो अपने और साँची के प्यार को बिखरने नहीं देगा ।
साँची को सँभालते हुये उसने पुछा पूरी बात बताओ साँची उसकी आवाज़ में स्थिरता थी , घबराहट नहीं।
"वही तो पूछ रही हु की गगन कौन है ?, पुलिस के बयान के मुताबिक किसी गगन ने 17 साल बाद आकर खुद अपना जुर्म कबूल किया है।
"क्या " शिशिर निष्प्राण सा बैठ गया ।
" उसने कहा है की उसके मित्र ने शालिनी नाम की लड़की का अपहरण करवाया और उसकी आँखों के सामने मार डाला" ।
"झूठ बोल रहा है शालिनी को चलती ट्रेन से बाहर फेंका था उसने"। शिशिर अकस्मात ही बोल उठा।
साँची अचानक सतर हो कर बैठ गई ,काँपते हाथों से उस ने शिशिर को पकड़ लिया ,
" सच -सच बताओ शिशिर शायद तुम्हे बचा पाऊँ"। साँची की बात सुन कर शिशिर कुछ देर मौन रहा , फिर मानो सब कुछ कह डालने का हौसला उस में जाग गया।
साँची , शालिनी एक शातिर लड़की थी , प्यार का नाटक मुझसे करती थी और गगन से भी ,
"कोई लड़की इतनी भी गिर सकती है" साँची चौकी ,।
हुँ , शिशिर आगे बोलने लगा , टेरेस पर वह जान बुझ कर खड़ी होती थी , जबकि उसे मालूम था की मैं उसे देख रहा हुँ , स्कूल फेस्ट, और बाद में कॉलेज में बन सवर कर आती , यही नहीं मुझे कनखियों से देखती भी रहती थी , ढेर सारे उपहार मुझसे लेने के बाद मुझे पता चला की गगन भी उस पर मेहरबान है , यही नहीं वो मुझे कहती रही की वो मेरे साथ कही भाग जाना चाहती है पर यह हो न सका , गगन मेरा भी दोस्त था , सो जब हम रात को घर से निकले तब स्टेशन ही जा कर रुके , गाड़ी आई हम गाडी पर चढ़े , पर जब गगन को मालूम हुआ की शालिनी उस से नहीं मुझसे प्यार करती है तब उसने शालिनी को। …… अभी वाक्य पूरा भी न हुआ था की साँची ने बीच में बात काट कर कहा।
" झूठ सफ़ेद झूठ , शिशिर " शालिनी टेरेस पर तुम्हारे लिए कभी नहीं आई , अगर बन सवर के कही गई तो डर से इधर उधर देखती की कही तुम उसे धुर तो नहीं रहे , तुम ने उस का घर से बाहर निकलना दूभर कर दिया था जहाँ तक गिफ्ट का सवाल है वो तो तुम्हारे घर दे आई थी , शिशिर सकपकाया सा साँची की ओर देखने लगा
साँची तेश में थी अब ," गगन ने बताया"। … अभी भी सच छुपा रहे हो '।क्यो ?साँची ने प्यार दीखते हुए कहा।
शिशिर के पास कोई चारा नहीं था
", साँची वो समझती क्या थी अपने आप को , बहुत घमंड था उसे अपने और अपने मिडिल क्लॉस संस्कारों पर ,तुम नहीं जानती इन मीडियोकेर्स को उसका घमंड तोड़ने के लिए ही उसको सज़ा दी हमने , उस रात उसी टेरेस से उस के कमरे में गये, हल्की फुल्की देह को कन्धे पर उठने मैं वक़्त नहीं लगा , कार मे डाल रहे थे शायद तभी दूध वाले ने देखा था "।
वह थोड़ा रुक कर बोला " 17 साल तक में डर में जिया हुँ , स्टेशन जा कर हमें जो ट्रेन मिली हम उसी में चढ़ गए , शालिनी को तब तक होश आ गया था ,हाथा पाई पर उतर आई थी , रात का समय था सो मैंने और गगन ने धका मार कर उसे गिरा दिया और अगले स्टेशन पर उतर कर मामा जी के घर चले गए दरअसल हम दो दिन पहले ही वहाँ गये थे सो जब पुलिस इन्क्वारी हुई , तब हम बच गए साथ ही पिताजी का दबदबा काम आया "
" अब बोलो क्या कर सकोगी मेरे लिए "शिशिर निरीह हो उठा।
,साँची शिशिर की ओर देखती रही फिर मुस्कुराई , अब चौकने की बारी शिशिर की थी , साँची धीरे से खुसपुसाई" सर मिशन एकाम्प्लीश, फिर उस ने जा कर दरवाजा खोला और आई. ज़ी. सामने मौज़ूद थे।
"वेलडन मिसेज़ विश्वास " आखिर तुमने सबूत जुटा ही लिए ,आई जी मुस्कुराए।
लगभग मानने ही वाला था शिशिर उसको ,
" तुम्हे क्या मिला साँची , ये सब कर के, खिलवाड़ अच्छा था" ,
शर्म आती है मुझे , तुम मैरिड हो , उसके बाद मेरे साथ प्यार का ढोंग "
गुस्से में पागल हो उठा था वो।
"शॉट अप , शालिनी को जब ट्रेन से फेका था क्या वो रोई नहीं थी , लतिका, मीनाक्षी , रीना को जब अपनी मौज़ मस्ती के लिए , इस्तेमाल किया तब क्या था , वैसे भी ये मेरा काम है मिस्टर वर्मा ,
"बग और मेरे हैंड बैग में रिकॉर्डिंग है ,सर आप अपने कब्जे में ले ले"। वो ओरडली को देख कर बोली।
"अब तुम्हारे सामने कोई विकल्प नहीं अच्छा है चुप चाप हमारे साथ चलोगे" , आई जी बोले।शिशिर कुछ न बोला पर उसने एक बार साँची की तरफ देखा, उस के दिमाग में झनझना हट सी हुई ,
"मुझे कुछ बातो का ज़बाब चाहिए"
"बोलो "साँची और आई जी दत्त ने बैठते हुऐ , एक साथ कहा ।
"शालिनी का केस ही क्यों , मिसेज़ विश्वाश मेरी ऑर्गनाइज़ेशन में कैसे ,। वैसे ही जैसे शालिनी को तुम्हारे वकील ने दुश्चरित्र बनाया , जैसे केस बंद हुआ ,वैसे।साँची मुस्कुराई ,"शिशिर क्या सोचा तुम ने शालिनी को मार देने से सब खत्म , सीरियल या मूवी की स्टोरी नहीं सुनाने बैठी मे , तुम्हारा पता खोज़ने में समय लगा परेशानी नहीं में पुलिस खुफिया विभाग में हुँ। रही बात तुम्हारी कंपनी का वो जानकारी सरकारी है , शालिनी का तो आज जन्म होगा नया जन्म कहते है ,इंसान को जन्मं लेते समय पीड़ा सहनी पड़ती है वो रुदन जो पहले दर्द और जीवन की पहचान होता है , शालिनी को भी नए जन्म में पीड़ा हुई ।
माँ बाप का कलंक बन मैं तुम्हारी वज़ह से , सालो घुली हुँ ,वो फट पड़ी ,
"कैसे इन उचाईयों तक पहुँची तुम्हे , नहीं बताऊँगी"।
आज मेरा पुनः जन्म हुआ है , साँची के रूप में , चाचा जी घर जा रही हुँ उम्मीद है , इस बार मेरे जैसियो को न्याय मिल जायेगा ।
इस बार शालिनी नहीं , शिशिर के रोने की गूंज सुनाई दे रही थी , अब शालिनी खुश थी इस बार बहुत खुश थी।
सो सीढिया उतरते हुये उसका रोना कोई न देख सका । वो घाव न देख सका जो शरीर पर नहीं उसकी आत्मा पर थे वो खुश किस्मत थी की नदी मे गिरी , कई बार कहने सुनने को बहुत होता है पर फिर भी यही कहेंगे , घाव से मुक्ति का मार्ग उसी को पता होता है , जिसे घाव आये होते है ।
साँची चली गई ,पर सवाल तो फ़िर भी उस के मन मे थे , शादी से महीने पहले दो लड़को ने अपने अहं की तृष्टि के लिए , एक लड़की को हताहत किया , फिर समाज में उसी को बदनामी क्यों हाथ लगी , बेनाम हो कर संधर्ष कर ,बड़ी तकलीफ से यह जंग जीत पाई थी। आँसू पोछते हुए वो , सोच रही थी , फिनिक्स अपनी ही राख से जन्म लेता है , उसने भी अपनी अतीत के दुखों से खुद को जन्म दिया है ।
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