अपनी सोच में ध्यान
ही नहीं रहा की चाय हो गई है , आराम से बैठ कर
चाय पियूँगा और कल छुट्टी का फायदा उठा कर नलिनी से मिलूंगा ,वह
मन ही मन कार्यक्रम बना रहा था ।
"सिळि गर्ल, सोचती है मैं उस के प्यार मे हुँ । प्यार तो मैंने शलिनी को
भी नहीं किया था , वक़्ती ख़ुमार था उतर गया "। ये क्या, मैं फिर से........ उसने अपना सर झटका जैसे सर के झटकने से उसकी सोच भी दिमाग से चली जाएगी । उफ़ , उस के मुँह से निकला ,
वह अब बेचैन हो उठा । चाय का प्याला एक तरफ रख कर वह कमरे में
चहल- कदमी करने लगा ।
........................क्रमश। …। अब आगे
चहल- कदमी करने लगा ।
........................क्रमश। …। अब आगे
गतांक से आगे -------------------------------
जन्म (भाग -2 )
पंद्रह सालो में ज़माना बदल गया , लोग बदल गए पर उसका डर नहीं
बदला । हालांकि जब उसे सब से ज़्यादा नुक़सान जब हो सकता था ,तब
वो बचा लिया गया , शहर कोई भी हो सिक्को की खनक हर जगह काम
आती है । कमरे में टहलते हुए ,अतीत की परछाइयों में घिर गया ।
शलिनी मेरे मोहल्ले की सबसे सुन्दर लड़कियों मे एक थी।
मैं मनचला तो नहीं था पर , उस उम्र में दोस्त साथियो पर रौब डालना
हर कोई चाहता है और मुझे तो विरासत में इतना कुछ मिला था की ,
किसी को भी मुझसे ईर्ष्या हो , पर मेरी जन्म घुटी में बाप - दादा का
विलसती रवैया मिला था ।
अट्टारह से बीस की उम्र मे यू भी दुनिया रंगीन ही लगती है , और प्यार
मोहब्बत ,दया में फर्क नज़र नहीं आता है । वो जानती थी कि में टेरेस पर
उसे ही देखने के लिए आता हूँ , फिर भी कभी मुझे देख कर वो घर के अंदर
नहीं भागती थी ,दिल दोनों हाथों से ताली बजा कर कहता था देखा मैं ,
जानता था वो मुझसे प्यार करती है ।
उफ्फ कितना पागल था जान ही नहीं पाया की मोहब्बत एक खुबसूरत
दिखावा है दुनिया में हर चीज़ पर प्राइस टैग लगा है ,वरना मुझसे ज़्यादा
गगन उस के पीछे दीवाना था उसने शायद उसकी स्कूल की फीस भी भरी
थी ।
"मिडिल क्लास फैमिली की लड़की ,उस के मुँह से गाली की तरह
निकला , " सिगरेट निकल कर उसने मुँह ऐसे बनया जैसे कुनैन कि गोली खा ली हो ।
तभी डोर बेल बजी, उसके साथ ही उसकी तन्द्रा भी भंग हो गई ,चिड़चिड़ा कर उसने दरवाजा खोला ,सामने ढाबे वाला था ,बिना एक शब्द बोले वह खाने का डिब्बा पकड़ा कर चला गया ।
शिशिर ने परेशान होने से बेहतर ,यह तय किया की कल का दिन नलिनी
के साथ गुज़रेगा और स्वयं पता लगाएगा की वो कौन है ।
देखा जाए तो ये इतनी परेशान होने वाली बात नहीं थी पर शालिनी वो कड़ी थीं जहाँ से शिशिर हर हद तोडता चला गया था ।
शालिनी से अब सिर्फ टैरेस पर आमना सामना नहीं होता था वरन अब वो
उस पर कई रुपये बर्बाद करने लगा था । बिना किसी को बताये उसने शालिनी के घर कभी फूल भिजवाता कभी कोई और उपहार ।
एक दिन शालिनी ने वो सारे उपहार उसके घर वैसे के वैसे वापस भिजवा भी दिए ।
"बड़ी माँ , कोई भूल से हमारे घर आपका सामान दे गया है, दोनों हाथ जोड़
कर , शलिनी प्रणाम कर उसके घर से निकल गई ।
शिशिर की माँ को देर न लगी जानते हुए की ये करतूत उसके बेटे की ही है।
वो पहली बार डर से काँपा था शायद आखिरी बार भी , घर मैं कोहराम मचा तो... .. पर कुछ नहीं हुआ । सब कुछ वैसे ही चलता रहा जैसे चल रहा था ।
"रिजेक्टेड फील" करने लगा था ,उसके पास पैसा था उसके परिवार की एक अलग इज़ज़त थी,फिर वह क्यों लौटा गई …… ।
"ऐसा उसने क्यों किया .. क्यूकि अक्सर बड़ी हसरत पूरी करने के लिए
छोटी कुर्बानी देनी पड़ती है,बड़ी ऊँची चीज़ है वो...... ना हो तो देख लेना
बस एक दो दिन रुक जा"... कह कर गगन हँस पड़ा ।
काल्पनिक नाम इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं पात्र केवल कहानी के लिए है नाम जन्म कॉपी राइट @आराधना
पंद्रह सालो में ज़माना बदल गया , लोग बदल गए पर उसका डर नहीं
बदला । हालांकि जब उसे सब से ज़्यादा नुक़सान जब हो सकता था ,तब
वो बचा लिया गया , शहर कोई भी हो सिक्को की खनक हर जगह काम
आती है । कमरे में टहलते हुए ,अतीत की परछाइयों में घिर गया ।
शलिनी मेरे मोहल्ले की सबसे सुन्दर लड़कियों मे एक थी।
मैं मनचला तो नहीं था पर , उस उम्र में दोस्त साथियो पर रौब डालना
हर कोई चाहता है और मुझे तो विरासत में इतना कुछ मिला था की ,
किसी को भी मुझसे ईर्ष्या हो , पर मेरी जन्म घुटी में बाप - दादा का
विलसती रवैया मिला था ।
अट्टारह से बीस की उम्र मे यू भी दुनिया रंगीन ही लगती है , और प्यार
मोहब्बत ,दया में फर्क नज़र नहीं आता है । वो जानती थी कि में टेरेस पर
उसे ही देखने के लिए आता हूँ , फिर भी कभी मुझे देख कर वो घर के अंदर
नहीं भागती थी ,दिल दोनों हाथों से ताली बजा कर कहता था देखा मैं ,
जानता था वो मुझसे प्यार करती है ।
उफ्फ कितना पागल था जान ही नहीं पाया की मोहब्बत एक खुबसूरत
दिखावा है दुनिया में हर चीज़ पर प्राइस टैग लगा है ,वरना मुझसे ज़्यादा
गगन उस के पीछे दीवाना था उसने शायद उसकी स्कूल की फीस भी भरी
थी ।
"मिडिल क्लास फैमिली की लड़की ,उस के मुँह से गाली की तरह
निकला , " सिगरेट निकल कर उसने मुँह ऐसे बनया जैसे कुनैन कि गोली खा ली हो ।
तभी डोर बेल बजी, उसके साथ ही उसकी तन्द्रा भी भंग हो गई ,चिड़चिड़ा कर उसने दरवाजा खोला ,सामने ढाबे वाला था ,बिना एक शब्द बोले वह खाने का डिब्बा पकड़ा कर चला गया ।
शिशिर ने परेशान होने से बेहतर ,यह तय किया की कल का दिन नलिनी
के साथ गुज़रेगा और स्वयं पता लगाएगा की वो कौन है ।
देखा जाए तो ये इतनी परेशान होने वाली बात नहीं थी पर शालिनी वो कड़ी थीं जहाँ से शिशिर हर हद तोडता चला गया था ।
शालिनी से अब सिर्फ टैरेस पर आमना सामना नहीं होता था वरन अब वो
उस पर कई रुपये बर्बाद करने लगा था । बिना किसी को बताये उसने शालिनी के घर कभी फूल भिजवाता कभी कोई और उपहार ।
एक दिन शालिनी ने वो सारे उपहार उसके घर वैसे के वैसे वापस भिजवा भी दिए ।
"बड़ी माँ , कोई भूल से हमारे घर आपका सामान दे गया है, दोनों हाथ जोड़
कर , शलिनी प्रणाम कर उसके घर से निकल गई ।
शिशिर की माँ को देर न लगी जानते हुए की ये करतूत उसके बेटे की ही है।
वो पहली बार डर से काँपा था शायद आखिरी बार भी , घर मैं कोहराम मचा तो... .. पर कुछ नहीं हुआ । सब कुछ वैसे ही चलता रहा जैसे चल रहा था ।
"रिजेक्टेड फील" करने लगा था ,उसके पास पैसा था उसके परिवार की एक अलग इज़ज़त थी,फिर वह क्यों लौटा गई …… ।
"ऐसा उसने क्यों किया .. क्यूकि अक्सर बड़ी हसरत पूरी करने के लिए
छोटी कुर्बानी देनी पड़ती है,बड़ी ऊँची चीज़ है वो...... ना हो तो देख लेना
बस एक दो दिन रुक जा"... कह कर गगन हँस पड़ा ।
काल्पनिक नाम इसका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं पात्र केवल कहानी के लिए है नाम जन्म कॉपी राइट @आराधना
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