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अफ़साना




किसका इंतज़ार था तुझे  भी यू ए दोस्त
वह कहकशां भी अपने ही साथ ले के गया

दामन में सिर्फ़ आँसू थे उसकी ही याद के
बीते हुए पल कि वो हर ख़ुशी भी ले के गया

ना जाने किस बज़्म  में तुझे वो अब मिले
वो जाते हुए "अरु "अपनी दास्ताँ कह गया

आराधना राय "अरु"
 Rai Aradhana ©
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शब्द के अर्थ 

बज़्म  -महफ़िल ,Gathering 
कहकशां -"Highest place" प्यारा , ब्रम्हांड , 
 दास्ताँ - story , अफ़साना




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आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"

गीत हूँ।

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