मुद्दतों बाद चेहरे पे हँसी आई हैं
जाने क्यों उस कि याद आई है
वो मुझे रोज़ आ के बता जाता है
या तो मैं हूँ या मेरी ये तन्हाई है
उसे भूलने कि आदत बहुत खूब है
मैंने ना भूलने कि कसम खाई है
उसकी बातों से मेरा यही रिश्ता है
उसकी यादें है जो निभाने आई है
आराधना राय
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