साभार गुगल इमेज़
इस गंदले उथले पानी में कुछ भी साफ़ नहीं है
ठहरे पानी में किसकी परछाई नज़र आती है
देख कर आत्मा भी यहाँ पर क्यों तड़पती नहीं है
किसकी पुकार है आवाज़ बन के उभरती रही है
कौन जाने वक्त ने यहाँ कैसी क्या चाल चली है
जंग लगे कितने दिलों में वो कौन से अरमान है
जिन के लिए चले जब राह ,में वो भी पास नहीं है
रास्ते ही रास्ते है मंज़िल का भी अब पता नहीं है
इससे आगे मेरे लिए भी क्या कहे जगह नहीं है
आराधना
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