Skip to main content

किसकी पुकार है

Image result for image of natural beauty

साभार गुगल इमेज़

इस गंदले उथले पानी में कुछ भी साफ़ नहीं है
ठहरे पानी में किसकी परछाई नज़र आती है

खुद को भी पहचानना भी तो  अब सरल नहीं है
देख कर आत्मा भी यहाँ पर क्यों तड़पती नहीं है

किसकी पुकार है  आवाज़ बन के उभरती रही  है
कौन जाने वक्त ने यहाँ कैसी क्या चाल चली  है

जंग लगे कितने  दिलों में  वो कौन से अरमान है
जिन  के लिए चले जब राह ,में वो भी पास नहीं है

रास्ते ही रास्ते है मंज़िल का भी अब पता नहीं है
इससे आगे मेरे लिए भी क्या कहे जगह  नहीं  है
आराधना





Comments

Popular posts from this blog

गीत---- नज़्म

आपकी बातों में जीने का सहारा है राब्ता बातों का हुआ अब दुबारा है अश्क ढले नगमों में किसे गवारा है चाँद तिरे मिलने से रूप को संवारा है आईना बता खुद से कौन सा इशारा है मस्त बहे झोकों में हसीन सा नजारा है अश्कबार आँखों में कौंध रहा शरारा है सिमटी हुई रातों में किसने अब पुकारा है आराधना राय "अरु"
आज़ाद नज़्म पेड़ कब मेरा साया बन सके धुप के धर मुझे  विरासत  में मिले आफताब पाने की चाहत में नजाने  कितने ज़ख्म मिले एक तू गर नहीं  होता फर्क किस्मत में भला क्या होता मेरे हिस्से में आँसू थे लिखे तेरे हिस्से में मेहताब मिले एक लिबास डाल के बरसो चले एक दर्द ओढ़ ना जाने कैसे जिए ना दिल होता तो दर्द भी ना होता एक कज़ा लेके हम चलते चले ----- आराधना  राय कज़ा ---- सज़ा -- आफताब -- सूरज ---मेहताब --- चाँद

गीत हूँ।

न मैं मनमीत न जग की रीत ना तेरी प्रीत बता फिर कौन हूँ घटा घनघोर मचाये शोर  मन का मोर नाचे सब ओर बता फिर कौन हूँ मैं धरणी धीर भूमि का गीत अम्बर की मीत अदिति का मान  हूँ आराधना