साभार गुगल इमेज़ तमाम उम्र बग़ैर शज़र के गुज़रीं ज़िंदगी कैसी भी थी धूप में गुज़री मुझी से वो वादे हज़ार क्यू करता है मुझे भूल जाने कि बात भी करता है जला के घर मेरा वो क्यू अब हँसता है जाने किस आशियाने कि बात करता है मेरा वज़ूद है उस से मुझे वो ये कहता है मेरे ही यादों के दरिया में बहता रहता है आराधना राय
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.