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Showing posts from August 25, 2015

शहर की बात

शहर की बात --------------------------------- अब किस शहर की बात हो  जहाँ सुबह सी कोई रात हो हर शख़्स ही जहाँ खास हो अवाम की जहाँ पे बात हो  ना भूख रोटी को  ढूँढती हो  कफन ज़िंदगी ना ओढ़ी हो यूँ इक सरज़मी की बात हो उजालों पर यूँ ना सवाल हो जहॉ रोशन हर ज़हन यूँ हो हर बात पे ना कोई बवाल हो कोई ख़्वाब हसीन नसीब हो "अरु" मंज़िले कुछ करीब हो आराधना राय "अरु" ------------------------------------------------ कफन -श्राउड, मृत्यु का सामान सरज़मी- क्षेत्र, देश अवाम- जनता , पब्लिक शख़्स- आदमी ,,इंसान

कौन सी बात

         साभार गूगल  -----------------------------------------------------           कौन सी बात ---------------------------------------------------- रोप बबूल को आम की बात की कर्म-विधान की कौन सी बात की ----------------------------------------------- जल रहा था देश, पेट की आग से मंदिर जला, मस्जिद को तोड़ कर जाने किस की ख़ुदा की तलाश की हृदय पे मरहम लगा नहीं जो सकते क्यों फिर बस देह- सुगंध की बात की -------------------------------------------------------- जली सैकड़ों ही बस्तियाँ क्या बात थी हम ने जाने किस सभ्यता की बात की पशु की नहीं पशुता से नीची ये बात की क्रांति पे "अरु" अशांत हो कर ही बात की  ------------------------------------------------ आराधन राय "अरु " Rai Aradhana © स्वरचित