Skip to main content

Posts

Showing posts from March 24, 2017

तू

तेरी गली से मेरा आना जाना है देखने का तुझे फकत बहाना है हम ही टूटे है अपनी जगह से अभी टूटे तारों का तो बस एक फसाना है तेरी बातों का सब भ्रम हट गया  मेरा अब ना यहाँ कोई ठिकाना है तू मिली तो एक सुबह की तरह तेरा आना मेरे लिए नज़राना है अरु 

नज्म

उम्र भर के निशा ढूंढते है ऐ - सहर हम तुझे ढूंढते है तू सितारा है आसमा का  दर -ब -डर हम तुझे ढूंढते है तू है सागर में भी हु नदिया तेरे कदमो में पनाह ढूंढते है राते कितनी भी हो गई काली एक उजाले को हम ढूंढते है ---------------अरु