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Showing posts from October 25, 2016

वो

दुखों  कि  गठरी  बांध  कर वो  मेरे  घर  आता  है हँसता  है  मुस्कुराता  है अपनी  नम  आँखे  लिए वापस  लौट  जाता  है कैसे  कहे  वो  दर्द  सीने  के अपना  हर  रिश्ता  आज़माता  है किसे  दर्द  कह दे  किसी  के  नाम लिख  दे वह अपने  रंज  पर  बस ठहाके  लगता  है खामोश हो  सब  सह  लेगा  या दर्द का दरिया  बन  जायेगा एक  ना  एक  दिन  वो  समंदर  सा अपना सब  दर्द  सह  जायेगा आराधना