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Showing posts from July 3, 2015

होता

               होता  ---------------------------------------------------------------- अजब बात थी जो वो भी मुकर गया  होता सुना के हाल वो  किसको बहलाने आया है तमाशाई था तमाशा दिखा गया वो यू होता कौन था यू चुप चाप सा बन रह  गया होता वो वादे वफ़ा के नए -नए से ही कर गया होता वो रोज़ ज़फा भी यू किसी से कर के गया होता आराधना राय   copyright :  Rai Aradhana   ©

लगे

            लगे --------------------------------------------- ज़ख़्म उनका हो तो बहुत गहरा लगे मेरा खून गिरे तो भी पसीना ही लगे वो मेरे ख्वाब नींदों में चुरा जाने लगे वो शख्स मुझे क्यू ना अपना सा लगे मैं दबे पाँव भी आ कर ठहर जाऊँगी ज़िंदगी तेरा भरोसा है हँस के जाऊँगी आराधना राय copyright :  Rai Aradhana   ©

नारायणी

अटल विश्वास के लिए साथ  खड़ी हूँ मैं अपने सत्य से भी यू कहीं परे हूँ क्या मैं स्वाधीन, मुक्त हूँ प्रश्न का उत्तर हूँ मैं धरती धरणी धीर सी अम्बर कथा हूँ मैं वीरकण से बनी धीर प्रतिमूर्ति ही  हूँ मैं मौन मूक वेदना कि ये एक कड़ी  हूँ  मैं अटल हूँ सजगता  से खड़ी हुई तो  हूँ मैं जन्मों तुझ से कहीं यू जुड़ी ही रही हूँ मैं सृष्टि कि अनमोल रचना भी रही हूँ मैं दुष्ट भंजनी  बाहुबल , नारायणी  हूँ मैं जीवन दायनी प्रबला मुक्तेश्वरी   हूँ  मैं अनेक रूपा "अरु" स्वरूपा भी तो  हूँ मैं आराधना राय copyright :  Rai Aradhana   ©