साभार गुगल मेरे तेरे अब वो ज़माने बदल गए लोगों के आजकल फसाने बदल गए ---------------------------------------------------------- बदहालियों के जुर्म से कैसे निकल गए रोजी की दौड़ में कितने तराने बदल गए ----------------------------------------------- आँखों में जाने कितने शरारे मचल गए ए- आसमां तेरे सारे नज़ारे बदल गए -------------------------------------------------------- ज़मघट लगा कर लोग कितने निकल गए मिलने मिलाने में कितने ज़माने बदल गए --------------------------------------------------------------- रोशनी को देख कर परवाने जल गए उम्मीद के गाँव से दीवाने बदल गए ---------------------------------------------------------------- फाका परस्ती में जितने दिन निकल गए वक़्त के धारे में कितने चेहरे बदल गए ---------------------------------------------------------------------- आसमां के नाम पर "अरु" सितारे बदल गए गुम चाँदनी हो गई झिलमिल नजारे बदल गए आराधना राय "अरु"
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.