Skip to main content

Posts

Showing posts from April 18, 2016

आबाद होता

साभार गुगल सज़दा गर तेरी पनाहों में होता असर कुछ इन दुआओं में होता मेरा घर रोशनी से आबाद होता इमान गर तेरी वफाओं में होता मंदिर ना मस्जिद ना खाक होता खुदा गर तेरी इन शिराओं में होता दिल का मकान ना यह खाली होता तिरा नाम गर इन सितारों में होता चाँद रात उन का  हसीं दीदार होता चेहरा गर उनका ना हिज़ाबों में होता बसेरा अपना तेरे गाँव में "अरु" होता पैगाम तेरा गर इन फिजाओं में होता आराधना राय "अरु"