दुनियाँ के दोहरेमापदंड पर जीवन ना जी के उसने उसी जीवन को स्वीकार किया जो उसका का था,जिसे जीने के लिए, किसी से छिपना नहीं पड़ा। ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------- " ज़र्द चेहरा गुम है रंगत दिल कहे कुछ और है बढ़ गई मुश्किल खुदाया हैरां मुस्लसल कौन है " सुंदर दो जोड़ी आँखे चेहरे पर टिका कर जब उसने पूछा तो राजन मन ही मन में शेर कह उठा , हालांकि शायर नहीं था वो पर उर्वशी को देख कर हो जाना चाहता था । "दो मिनट रुकेगे" , कार में बैठे राजन से उसने कहा । कोई बात नहीं आप जाए में इंतजार करूँगा, गोरा सुंदर चेहरा , सुडौल देहयिष्ट, शिफोन की नीली साड़ी में नीलाभ आभा लिए मासूम मुस्कुराहट लिए उर्वशी दुकान की ओर चली गई । राजन देर तक उसे देखता रहा, ना जाने क्या था जो उस की ओर खिंचा चला गया, तीन साल तक उसे देखता था पर बोलता नहीं था । उसी के फ्लोर पर रहती रोज़ उसी के आफ़िस में उसे दिखाई देती रह
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