भगवान भी मंदिरों में अब तक बिकता है दो रूपये में हर दरवाज़े बेमोल मिलता है कहने से भगवान भी कही पर दिखता है मांगने पर भी तुझे कहीं नहीं मिलता है पीड़ वहन करने पर सब यही मिलता है सह के घात- आघात मनुज ये बनता है आराधना
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.