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Showing posts from July 18, 2015

अटल

अटल विश्वास के लिए साथ  खड़ी हूँ मैं अपने सत्य से भी यू कहीं परे हूँ क्या मैं स्वाधीन, मुक्त हूँ प्रश्न का उत्तर हूँ मैं धरती धरणी धीर सी अम्बर कथा हूँ मैं वीरकण से बनी धीर प्रतिमूर्ति ही  हूँ मैं मौन मूक वेदना कि ये एक कड़ी  हूँ  मैं अटल हूँ सजगता  से खड़ी हुई तो  हूँ मैं जन्मों तुझ से कहीं यू जुड़ी ही रही हूँ मैं सृष्टि कि अनमोल रचना भी रही हूँ मैं दुष्ट भंजनी  बाहुबल , नारायणी  हूँ मैं जीवन दायनी प्रबला मुक्तेश्वरी   हूँ  मैं अनेक रूपा "अरु" स्वरूपा भी तो  हूँ मैं  आराधना राय copyright :  Rai Aradhana   © ------------------------------------------------------------------------------------------------------------------ आज हाथ में छुरी ले कर वो अपना खुदा मार आये है किसी का इश्क़ था इबादत वो भी वो मार कर आये है बेवफ़ाई का इल्ज़ाम दूसरो पर लगाने वालो हँसते हुए घर को भी तबाह यू ही  करने वालों इश्क कि कौन सी नई रस्म ढूंढ आए हो ना खुदा को खुदा बना कर ही तो  लाए हो copyright :  Rai Aradhana   © खामोश सदाओं को एक तेरा भरोसा है हम ना छूटेंगे ये साथ

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©

चाँद

चाँद के साथ चाँदनी खिलखिलाती रही तेरे बहाने से खुशियाँ दरीचे से आती रही तू सहर सा मेरे दर को रोशन करती रही तू मेरे घर में चाँद बन के जगमगाती रही वो खूबसूरत सा चेहरा ईद सा चाँद ही रही इसी बहाने "अरु"बहार बन के वो आती रही आराधना राय