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राहत



ना काबा ना काशी में सकूं मिला
दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला।

ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला
बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला

राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला
रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला
आराधना राय


copyright : Rai Aradhana ©

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नज़्म

अब मेरे दिल को तेरे किस्से नहीं भाते  कहते है लौट कर गुज़रे जमाने नहीं आते  इक ठहरा हुआ समंदर है तेरी आँखों में  छलक कर उसमे से आबसर नहीं आते  दिल ने जाने कब का धडकना छोड़ दिया है  रात में तेरे हुस्न के अब सपने नहीं आते  कुछ नामो के बीच कट गई मेरी दुनियाँ  अपना हक़ भी अब हम लेने नहीं जाते  आराधना राय 

फासले हुए है

साभार गुगल मेरे नाम दिन के उजाले हुए है अंधेरों को हम क्यों पाले हुए है किन मज़बूरियों में ढाले हुए है हालत तंग दिल में छाले हुए है ख्वाब क्यों हमने पाले हुए है हसरतों कि ख्वाहिशें वाले हुए है बिना बात दिल में जाले हुए है किन महफिलों के हवालें हुए है लगी बात दिल पे मतवाले हुए है इंसानों में अजब "अरु" फासले हुए है आराधना राय "अरु"   ©