सुख -सपनों कि राह ही छोड़ कर बस दुःख का ही कारोबार किया। मूक हो चूके जिनके सब स्वर ही बस उनका ही गुणगान किया। भला -बुरा सोचा ही कब किसने सत्य समर्पण बारम्बार किया। लेना -देना ही जिनकी थी नियत रीते हाथ से प्रेम व्यवहार किया। सुख -सपनों कि राह ही छोड़ कर बस दुःख का ही कारोबार किया। आराधना
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