सैकड़ो बार क्यों ठुकराई जाऊँ कभी निष्कासित करी जाऊँ वन-वन में भटकाई जाऊँ किसी राम कि सीता थी क्या जो अग्नि परीक्षा भी दे जाऊँ नहीं द्रौपदी मैं किसी की भी जो पांडव मे भी बाँटी जाऊँ है ये कौन सा साम्राज्य यहाँ जहाँ रोज़ मैं निगली जाऊँ कौरवों के साये में रह कर रोज़ ही दाँव पर खेली जाऊँ रोज़ अख़बार कि सुर्खियों में इधर -उधर ही बांची जाऊँ रद्दी की ढेरों में फेंकी जाऊँ चाय कि प्यालियो कि तरह मेज़ पर बस परस भर दी जाऊँ भूमि के टुकड़े कि तरह यू ही भागों में बटती ही चली जाऊँ श्याम नहीं तुम राधा बन जाऊँ राम नहीं तुम मैं सीता बन जाऊँ नारी हुँ नारी का मान रख जाऊँ आराधना
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.