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Showing posts from May 27, 2015

गीत वहीं गाते हो

तुम गीत वहीं फिर गाते हो जो उर में आन समाता है उषा कि प्याली में रचे बसे रश्मि का दीप जलाता है, अपराह्न समय भानू वीर अग्नि सा बरस कर जाते है ग्रीष्म ऋतु से हिय में क्यों संताप प्रहार कर के जाते है निशा कि चादर को ओढ़े चंद्र मन ही मन मुस्काता है चपल चाँदनी कि आभा से स्निग्ध् स्नान जग पाता है निंद्रा कि बाहों में जब मंद समीर मन को बहलाता है तारों कि चुनरीया ओढ़े कोई स्वपन नए से दे जाता है गीत मुझे हर दिन ही दिवस रात्रि में भेद बतलाता है जाने वाले थोड़ा रुक जा दिन ही रीता सा जाता है आराधना राय    

ख़्वाब आँखों में

-------------------------------------------------------------- किस  कि आहट को सुन कर वो चले आते है ख़्वाब से हमारी आँखों में वो बसा कर जाते है कोई साज़ -ओ -सामान नहीं साथ वो लाते है दिल के आईने में बात कर के वो चले जाते है कोई शिकवा नहीं मुझसे उनको ये बता जाते है वो तस्वुर है मेरा मुझसे ही बात कर के जाते  है दिल के शहर के अफ़साने को बयां कर जाते  है तन्हा होते हुए भी अरु वो महफ़िल सजा जाते है आराधना राय