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Showing posts from May 30, 2016

ग़ज़ल

  साभार गुगल बीता लम्हा था क्यों याद करे  किससे जीने कि फरियाद करें  गम मिला जिन्हें उम्र भर मिला  घर उनका खुशियों से शाद करें  दर्द ए दिल का आज मातम करें कल नए सपनों को हम साद करें उठे हो हाथ दुआ के लिए गर तिरे बद्ददुआ दे कर ना कोई बरबाद करें आराधना राय "अरु"

ग़ज़ल

तिरे गम को चुप चुप  हम पीते है दिल के खून से अपने मुहँ धोते है बड़े नाज़ से उठाए जिन के नखरे बिछड कर उन से आज हम रोते है रंज इतने ना थे जिन पर दिल रोया रूठ कर जितने हम हबीबो को खोते है उठ कर चले जाते बज़्म ए गम से तेरी मुड़ कर ना पूछते तिरे गम क्यों ढोते है आराधना राय अरु