वो बच गया सौ-सौ ख़ून कर के भी हम ही तड़पे इकरार कर के भी। न कोई शिकवा ना कोई गिला था जो मिला था नसीब से ही मिला था तुम्हारी पेशानियों पर, जो सलवटे हैं मेरी ही सोच के ये सब सिल-सिले है तुम्हारी बातें मेरी ज़हन को लुभाती है मेरी हर सोच में कहीं बस से गये हो गज़ब सी दांस्ता मेरी अजब आरजू है न बन सकी कभी , न बिगाड़ी गई है। हर एक बात उसकी कुछ लाज़मी सी थी अंदाज़ भी बड़ा हीं उसका आशिक़ाना था यही हर बार हंस कर सोचते क्यों "अना" जो कल तलक अपना था आज बेगाना है आराधना ''अना''संक्षिप्त नाम का उर्दू में अना का मतलब है self-respect
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.