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Showing posts from July 14, 2015

कफ़स

कफ़स  ------------------------------------------------------------------------------------------------------------ कफ़स में आज़माइश यू रही बरसों मेरी परिंदों कि झलक देखी ना आसमानों में मेरी बातों के रंगे -बू रहे ना यू ही बगानों में मेरी तरह तू भी खिल कभी यू गुलदानो में  दरीचे यू आसमानों कि तरफ भी खुलते रहे  नज़र मेरे कफ़स पर भी यू ही तेरी पड़ती रहे कौन से वादों पे हम यहाँ क्यू  हंस के जी जाए "अरु" अब जिए इस दोज़ख में या  के मर जाए  आराधना copyright :  Rai Aradhana  ©