फिलबदी के लिए आर- काफिया - प्यार-- इज़हार----इख़्तियार , बहार, एतबार बेज़ार, निसार-शर्मसार,रइंतजा,होशियार ------------------------------------------------------------------ मुझ पर एतबार किसी ने नहीं किया दिल को बेकरार किसी ने नहीं किया समंदर ने साथ जब लहरों का किया तूफां को बेक़रार किसी ने नहीं किया राह में काँटे चुभे जिगर से खून निकला इश्क में मिरा इंतजार किसी ने नहीं किया करूं क्या बात लोगों से बेदिली से अब मेरी बात का एतबार किसी ने नहीं किया बात है वादों को दिल से निभाने की वतन पे जां निसार किसी ने नहीं किया बड़ी हस्ती है उस महकते गुलशन की गुलों को शर्मसार,किसी ने नहीं किया कह दो प्यार उन से किसी ने नहीं किया "अरु" माँ सा दुलार उन से किसी ने नहीं किया आराधना राय "अरु"
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.