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किसी ने नहीं किया

फिलबदी के लिए

आर- काफिया -

प्यार-- इज़हार----इख़्तियार , बहार, एतबार बेज़ार, निसार-शर्मसार,रइंतजा,होशियार


           
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मुझ पर एतबार किसी ने नहीं किया
दिल को बेकरार किसी ने नहीं किया
समंदर ने साथ जब लहरों का किया
तूफां को बेक़रार किसी ने नहीं किया
राह में काँटे चुभे जिगर से खून निकला
इश्क में मिरा इंतजार किसी ने नहीं किया
करूं क्या बात लोगों से बेदिली से अब
मेरी बात का एतबार किसी ने नहीं किया
बात है वादों को दिल से निभाने की
वतन पे जां निसार किसी ने नहीं किया
बड़ी हस्ती है उस महकते गुलशन की
गुलों को शर्मसार,किसी ने नहीं किया
कह दो प्यार उन से किसी ने नहीं किया
"अरु" माँ सा दुलार उन से किसी ने नहीं किया
आराधना राय "अरु"






             
             






               
                 
               


               
               

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ग़ज़ल

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राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©