तंज़ ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- वो कहते है बात करना छोड़ दो आपस में रिश्ता रखना छोड़ दो ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- मंदिर में भगवान को पूज कर मस्जिद में कुरान पढ़ना छोड़ दो ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- तलवार मंदिर को करते हो भेंट मानवता का पाठ पढ़ना छोड़ दो --------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- बातें अनर्गल करते है रहे वो खुद इंसान को इंसान कहना छोड़ दो ----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- खा रहे जो नेता इंसानो को रोज़ वो कहते है मांस खाना छोड़ दो ---------------------------------------------------------------------------------------------------
मेरी कथाओं के संसार में आप का स्वागत है। लेखिका द्वारा स्वरचित कविताएँ है इन के साथ छेड़खानी दंडनीय अपराध माना जाएगा । This is a original work of author copy of work will be punishable offense.