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Showing posts from May 10, 2015

बुत बन जाएगा

ना तराश संग को इतना बुत एक और बन जाएगा तू आज नहीं तो कल खुद उसका  खुदा बन जाएगा वो दर्द भी होगा  तुझे भी वो ये कहां समझ पायेगा तेरी बाते ज़ज़्ब हो जाएगी बुत जब बात कर जाएगा उसके लफ़्ज़ों में किसी रोज़ तू भी कही गुम सा हो जाएगा आराधना राय

याद आई

आज ना जाने क्यू मुंशी प्रेम चंद कि ईदगाह याद आई हमीद तेरे चिमटे मांगी हो कोई दुआ कही याद हो आई माँ तेरे प्यार से भीगा मेरा ही आँचल ये ही सदा बस आई कैसा भी रहा हो  मैला आँचल  बस  बात इतनी समझ आई नारी तेरा जीवन कैसा भी हो जब तुझ में कहीं माँ नज़र आई तू मुझे बस यशोदा , कौसल्या ,अनुसूइया , अंजनी नज़र आई कालकोठरी में देवकी सी , माताजगत जननी ही तू ही कहलाई रंभा , हो या मेनका , ऊर्वशी भी तो  कहीं जा कर माँ ही कहलाई आराधना राय

जीवन कि धुरी होती है

जीवन कि धुरी होती है -------------------------------- माँ का दिल होता नहीं औरो सा दिल के ज़ख्मों को सी लेती है अश्क़ चुपके से भी पी लेती है बात कैसी भी हो वो सह लेती है माँ मर कर भी जी कैसे लेती है मेरे गुनाहों को माफ़ कर देती है प्यार कि चादर से ढक वो देती है किसी बात का गिला नहीं उसको जो मांगा नहीं वो भी तो दे देती है  खुदा हो कर भी खुदा कहा होती है  कभी धरती कभी सागर हो लेती है माँ जितना भी कहु कम है तेरे लिए  कभी हारी ना जीती जीवन के लिए माँ तू यू भी कैसे ऐसे ही ज़ी लेती है  दूर हो तो जीवन ही दूर सा लगता है माँ तू ही  इस जीवन कि धुरी होती है आराधना राय याद आई ----------------------- आज ना जाने क्यू मुंशी प्रेम चंद कि ईदगाह याद आई हमीद तेरे चिमटे मांगी हो कोई दुआ कही याद हो आई माँ तेरे प्यार से भीगा मेरा ही आँचल ये ही सदा बस आई कैसा भी रहा हो  मैला आँचल  बस  बात इतनी समझ आई नारी तेरा जीवन कैसा भी हो जब तुझ में कहीं माँ नज़र आई तू मुझे बस यशोदा , कौसल्या ,अनुसूइया , अंजनी नज़र आई कालकोठरी में देवकी सी , माताजगत जननी ही तू ही कहलाई