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Showing posts from April 17, 2015

मुक़ाम

साभार गुगल इमेज़ फसल-ए -बहार में ये भी एक मुक़ाम आया है रास्ता में  देख कर  वो हम  से भी शरमाया  है उसका  वज़ूद शायद मेरी तलाश में आया है ख्वाबों में फिर तुझे कहीं कोई फिर भरमाया हैं रहा यू  वो दूर हमसे क्यों किसे समझ आया है उसकी ख़ता क्या  कोई समझ भी नहीं पाया  है किसका ख्याल यहा किसे ढूंढ  कर उसे ले आया है वक़्त ने इस तरह उसे क्यों किस बात पे रुलाया है आराधना

वरदान

अब के प्रभु रखियो  भी तुम मेरा मान काँटों के संग चल कर हँसू रख ध्यान  उपजे सब के मन में सुख पूर्ण  ज्ञान करे सब अपने निज, औरों का सम्मान पूरित हो सपनों का अपना अब वरदान फले -फूले हम दे सदा बस यही तू  दान आराधना