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Showing posts from July 16, 2015

सवालात

 एहतमाद के काबिल ना थे उनका ख्याल किए  दिलों में नश्तर चुभा के सौ  सवालात किए तेरी पनाह में झुक कर सज़दे  हज़ार किए उससे जीने के वादे  हमने हज़ार किए वफ़ा कि बातें  हमारी ज़ानिब से  बार-बार किए क़त्ल कि रात हर लम्हा हमारा इंतज़ार किए उसी के नाम का सदका हज़ार बार किए उसी को खुदा मान कर सौ- सौ काम किए अज़ीम ग़ैरत  रही  जिन्होंने  सवालात किए अज़ीब बात है "अरु " तुझसे हर सवाल किए   आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©

कतरा

ज़िंदगी कतरा कतरा ही तय कि हमने ख़ुशी से ज़्यादा ग़मो को ही जीया हमने वक़्त का खुद इंतज़ार यू ही किया हमने रुखसती पर अपना  मातम किया हमने जीने के बहाने यू ही हज़ार क्यू दिए हमने ज़िंदगी को नए अल्फ़ाज़ क्यू दिए हमने चाँद कि चाँदनी को ना ख़फा किया हमने "अरु"  अश्क़ से ख़ुद  निबाह किया हमने आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©