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Showing posts from June 11, 2015

कभी

सौ बार मर कर जीये फिर एक बार कभी मेरा नहीं तो कर अपना ही एतबार तू कहीं तेरे लिए इस जहां मे रुकी वो बहार हूँ अभी  आएगी रास तुझको भी मेरी दीवानगी कभी तेरा दामन जो मेरे हाथ से छूटा जो फिर कभी जी कर भी ना जी पायेंगे जन्मों हम फिर कहीं अज़ीब बात है कोई बादल नहीं बरसा ऐसे कहीं ज़मीं प्यासी भी रही होगी "अरु" ना ऐसे  कभी आराधना राय

बना देंगे

तेरी हर बात अफ़साना बना देंगे कल तुझे भी ये दीवाना बना देगे तेरे हर लफ्ज़ को ज़ुदा यू कर देंगे तेरी बात को ये से बेगाना बना देंगे दिल पे  तेरे ही ज़ख़्म तुझे ये यू देंगे तेरे नासूर को जो रोज़ हरा कर देंगे तेरी  आवारगी का ये तुझे सिला देंगे तुझे किसी रोज़ "अरु" ज़हर भी देंगे