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बरसात



पानी ठहर गया सड़क पर बरसात के बाद
मंद झोकों से मन बहका बरसात के बाद

सोंधी- सोंधी मिट्टी की महक बसी सांसो में
ह्दय सहज ही खिल गया बरसात के बाद

इठलाती, कली चूमती रही वसन बरसात के बाद
नीलाभ आसमान बहलाता रहा बरसात के बाद

तमाम शहर के बुरे हाल हुए बरसात के बाद
सुलझते- उलझते हालत हुए बरसात के बाद

अँधेरा किस का सरमाया बना  बरसात के बाद
रोशनी में नहाते रहे तन्हा- तन्हा बरसात के बाद

सड़को के सभी रास्ते बंद हुए बरसात के बाद
"अरु" हालात अजब थे बड़े बरसात के बाद

आराधना राय "अरु"





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कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©