प्रीत कि डगर सब से खरी होती है
यहाँ जीत हार किस कि कब होती है
मन में प्रेम निष्ठा उत्कृष्ठ होती है
मन रहे तृषित जब भी पुकार होती है
बनते सवरते जीवन में आस होती है
सूर्ये कि क्या कभी यू हार भी होती है
अंतस में ही अंतःसलिला भी होती है
जीवन पुकार चलने के लिए होती है
आराधना राय
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