साभार गुगल इमेज़
समुंदर भी कश्तियाँ को तोड़ देते है
तूफानों में जिन्हे साहिल छोड़ देते है
ख़ुशी कि उम्मीद पर ग़म ले लेते है
हाल दिल का सब से बयां कर देते है
अपना नाता दुनियाँ से जोड़ लेते है
गुनाह अपने ही सर हम ओढ़ लेते है
खिज़ा में पत्ते भी साथ छोड़ देते है
ग़िला क्या उनसे जो हाथ छोड़ देते है
ज़िंदगी इसी बहाने से तुझे देख लेते है
आँसुओ में भी खुशियाँ ढूंढ ही ज़ी लेते है
आराधना राय
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