साभार गुगल इमेज़
तमाम उम्र बग़ैर शज़र के गुज़रीं
ज़िंदगी कैसी भी थी धूप में गुज़री
मुझी से वो वादे हज़ार क्यू करता है
मुझे भूल जाने कि बात भी करता है
जला के घर मेरा वो क्यू अब हँसता है
जाने किस आशियाने कि बात करता है
मेरा वज़ूद है उस से मुझे वो ये कहता है
मेरे ही यादों के दरिया में बहता रहता है
आराधना राय
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