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मुमकिन नहीं है


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तुम्हे भूल जाऊँ मुमकिन नहीं है
चलो इस जहां को ही भूल जाऊँ

फसाने हजारों मिलेगे तुम्हे भी
हमारी गली से तूम राब्ता रखना

भूल गर जाऊँ नगमे तुम्हारे हमारे
चाँद को तूम दो पल याद कर लेना

वफ़ा कीना पूछे, पूछे गम ए दिल
मेरा मोहताज़ तू कब हो गया था

वो मायूसी तेरी कामयाबी किसी की
दिल इतना बेईमान कब हो गया था

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गीत---- नज़्म

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