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अतुकांत


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साभार गुगल



अतुकांत

विश्वास के छोर होते है
एक छोर तुम्हारे हाथ में होगा
जो कही राह में छुटगया होगा
एक छोर मेरे हाथ में साथ बन
कर चल रहा है विश्वास का
कुछ अगर टुटा सा मिले तो
समझना दिल था मेरा क्युकी
क्योकि विश्वास की डोर में
दिल ही बंधे होते है जो टूट जाए
दिल होते है विश्वास नहीं टूटते

आराधना राय अरु

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ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©