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नग्मा प्यार का





साभार गुगल

फूलों से सुना नग्मा प्यार का
हाल सुनाया सबा ने इज़हार का
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लम्हा दर लम्हा गुज़रा तूफान का
दिलों के बीच रिश्ता क्या इकरार का
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शज़र पे बरसा आफताब आग का
कितना तवील था मौसम इंतजार का
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सफर सुहाना रहा घटा से मेहताब का
कली ने सीखा तराना दिल के क़रार का
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जलता रहा दिया मेरी टूटी दीवार का
रात भर अश्क बहा उसके इंकार का
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खिज़ा ने किया है रुख ठंडी हवाओं का
नीद में चुनते रहे ख्वाब इसरार का
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वो बनाता रहा बहाना इक्लाक़ का
रास ना आया "अरु" मौसम खार का

आराधना राय "अरु"

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ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©
कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है