Skip to main content

देखिये

मेरे पहलू में भी आ कर देखिए
दिल से दिल मिलाकर देखिए

मेरे हमदम की गाई ग़ज़ल
साथ मेरे गुनगुनाकर देखिए

नफरतों कि बस्तीयों को भूल कर
प्यार कि दुनियाँ बसा कर देखिए

मुश्किलों में तो थपेड़े धुप के
साथ मेरे भी खा कर देखिए

आप के कन्धे पे रखा है सर
प्यार से थपथपा कर देखिए

लाए है तोहफ़े में हम जां और ज़िगर
आप नजरें उठा कर देखिए

ग़र खता कोई नहीं कि आपने
आँखों से आँखों मिला कर देखिए

चाँद तारों से भला क्या पूछना
"अरु" खुद ही आकर देखिए

आराधना राय "अरु"

Comments

Popular posts from this blog

कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©