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फासले हुए है



साभार गुगल
मेरे नाम दिन के उजाले हुए है
अंधेरों को हम क्यों पाले हुए है
किन मज़बूरियों में ढाले हुए है
हालत तंग दिल में छाले हुए है
ख्वाब क्यों हमने पाले हुए है
हसरतों कि ख्वाहिशें वाले हुए है
बिना बात दिल में जाले हुए है
किन महफिलों के हवालें हुए है
लगी बात दिल पे मतवाले हुए है
इंसानों में अजब "अरु" फासले हुए है
आराधना राय "अरु" ©

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