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पनाहों में होता

साभार गूगल


27-12-2015
सज़दा गर तेरी पनाहों में होता 
असर कुछ इन दुआओं में होता
मेरा घर रोशनी से आबाद होता
इमान गर तेरी वफाओं में होता
मंदिर ना मस्जिद ना खाक होता
खुदा गर तेरी इन शिराओं में होता
दिल का मकान यह खाली ना होता
तेरा नाम गर इन सितारों में होता
चाँद रात उन का हसीं दीदार होता
चेहरा गर उनका ना हिज़ाबों में होता
बसेरा अपना तेरे गाँव में "अरु" होता
पैगाम तेरा गर इन फिजाओं में होता
आराधना राय "अरु"

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कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है