Skip to main content

ख़्वाहिशें

Pastel Dreams wallpaper by Emerald-Depths





उन से मिलने की ख़्वाहिशें हज़ार की
दिल ने मिल कर साज़िशें हज़ार की
ना जाने कारवां किधर जा रहा था
सबने आरइशे हज़ार की
अपनी ही मस्ती में सब डूबे हुए थे
बस्तियों में रिहाइशें हज़ार की
साथी अजब से राह में मिल रहे थे
सबने सिफारिशें हज़ार की
सफर रास्तों के ना आसान होंगे
कहने को "अरु" ख़्वाहिशें हज़ार की آرادنا رائے ار

Comments

Popular posts from this blog

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©
कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है