मेरा बचपन ही साथ लें गए
पिता मेरे तुम ईश्वर हो गए
मेरे जीवन के वातायन बन
मुझे अपने सपनें भी दें गए
मुझे नव जीवन यू देने वाले
सागर तीरे ही पार वो हो गए
इस जीवन से विदा लेने वाले
उस ईश्वर के कण में खो गए
(स्व श्री कैलाश चन्द्र शर्मा
को नमन ४ बरसीं पर))
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