बातें
बात लफ़्ज़ों में हो गई होती जो ये दूनियाँ भी संभल गई होती
दिल कि बातें रूह से रूह कि हुई दुनियाँ थी यहाँ ही रही होती
बेशर्म कि बेशर्मी ही यू रही पूरी दुनियाँ गर ये परेशान रही होती
बहाने बना कर चले आते है वो चोट ख़ुद को लगा लाए तो होते
वो हँसे तो दुआ सी लगे आँख के आँसू भी बददुआ हो गई होते
ख़तावार को सज़ा दे ऐसी जिसकी माफ़ी कहीं नही यू ही होती
तू फसाना थी तो बहाने कि तरह वो भी तो कहीं से आया होता
तेरे गम कि छाँव में भी "अरु" वो ही रह गया ना कहीं यू होता
आराधना राय
copyright : Rai Aradhana ©
बात लफ़्ज़ों में हो गई होती जो ये दूनियाँ भी संभल गई होती
दिल कि बातें रूह से रूह कि हुई दुनियाँ थी यहाँ ही रही होती
बेशर्म कि बेशर्मी ही यू रही पूरी दुनियाँ गर ये परेशान रही होती
बहाने बना कर चले आते है वो चोट ख़ुद को लगा लाए तो होते
ख़तावार को सज़ा दे ऐसी जिसकी माफ़ी कहीं नही यू ही होती
तू फसाना थी तो बहाने कि तरह वो भी तो कहीं से आया होता
तेरे गम कि छाँव में भी "अरु" वो ही रह गया ना कहीं यू होता
आराधना राय
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