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सौदा

     


                
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एक सौदा कर लिया है इश्क़ के बाज़ार में
तेरे  नाम पर मरना जीना तेरे ही नाम पे

तुम्हारी आदतों में मेरी आदतें भी शुमार है
तेरी  आवाज़ में मेरी आवाज़  का ख़ुमार है

ये मिरज़ -ए -इश्क़ है नाकामियों के नाम पे
हम खुद आ कर रूक गए है एक तेरे नाम पे

साथ तेरे यू चल पड़ा बस  क़ाफ़िला था नहीं
हमसफ़र कोई कहाँ था "अरु" तन्हां ही सही

आराधना राय



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कैसे -कैसे दिन हमने काटे है  अपने रिश्ते खुद हमने छांटे है पाँव में चुभते जाने कितने कांटे है आँखों में अब ख़ाली ख़ाली राते है इस दुनिया में कैसे कैसे नाते है तेरी- मेरी रह गई कितनी बातें है दिल में तूफान छुपाये बैठे है  बिन बोली सी जैसे बरसाते है

ग़ज़ल

लगी थी तोमहते उस पर जमाने में एक मुद्दत लगी उसे घर लौट के आने में हम मशगुल थे घर दिया ज़लाने में लग गई आग सारे जमाने में लगेगी सदिया रूठो को मानने में अजब सी बात है ये दिल के फसाने में उम्र गुजरी है एक एक पैसा कमाने में मिट्टी से खुद घर अपना बनाने में आराधना राय 

राहत

ना काबा ना काशी में सकूं मिला दिल को दिल से राहत थी जब विसाल -ए -सनम मिला। ज़िंदगी का कहर झेल कर मिला बीच बाज़ार में खुद को  नीलम कर गया यू  हर आदमी मिला राह में वो इस तरह कोई चाहतों से ना मिला रूह बेकरार रहे कोई "अरु" और वो अब्र ना कभी हमसे यू मिला आराधना राय copyright :  Rai Aradhana  ©